शुक्रवार, 22 मार्च 2019

सूर्य स्नान

सूर्य स्नान (sun bath) मनुष्य के लिए बहुत आवश्यक होता है। हमारे देश भारत में ईश्वर की असीम कृपा है कि यहाँ सूर्य के प्रकाश और ऊर्जा की कोई कमी  वनहीं है। वेदों में सूर्य की पूजा का बहुत महत्व बताया गया है। सूर्य को हम लोग भगवान कहते हैं। हमारे ऋषि-मुनियों ने मानव जाति को यह सुन्दर सन्देश दिया है कि वह सूर्य से शक्ति प्राप्त करके प्राकृतिक रूप से अपना जीवन व्यतीत करे।
          सूर्य मनुष्य को शक्ति देता है। मनुष्य के शरीर को सूर्य की ऊर्जा की बहुत आवश्यकता होती है। शरीर में विद्यमान हड्डियों के लिए यह रामबाण औषधि है। सूर्य विटामिन डी का प्राकृतिक स्रोत है। डॉक्टर के पास यदि अस्थि रोग के लिए जाना पड़े तो वह सूर्य के प्रकाश में बैठने का परामर्श देते हैं। प्रतिदिन सूर्य के ताप का सेवन करने वाले बहुत से रोगों से मुक्त हो जाते हैं। यदि सूर्य का ताप मनुष्य के शरीर को न मिले तो उसे बहुत ठण्ड लगने लगती है।
          अथर्ववेद के अनुसार प्रात:काल धूप में स्नान करने से हृदय स्वस्थ रहता है। अथर्ववेद में अन्यत्र कहा गया है कि सूर्योदय के समय सूर्य की लाल किरणों के प्रकाश में खुले शरीर बैठने से हृदय रोगों तथा पीलिया के रोग में लाभ होता है। आयुर्वेदिक चिकित्सक तथा प्राकृतिक चिकित्सक कई आन्तरिक रोगों का उपचार करने हेतु विभिन्न प्रकार के लेप लगाकर सूर्य स्नान करवाते है यानी सूर्य के प्रकाश में बिठा देते हैं।
          सूर्य पृथ्वी पर स्थित रोगाणुओं को नष्ट करके प्रतिदिन रश्मियों का सेवन करने वाले व्यक्ति को दीर्घायु भी प्रदान करता है। सूर्य की रोगनाशक शक्ति के बारे में मनीषी कहते हैं कि सूर्य औषधि बनाता है, विश्व में प्राणरूप है तथा अपनी रश्मियों द्वारा जीवों का स्वास्थ्य ठीक रखता है। किन्तु ज्यादातर लोग अज्ञानवश अन्धेरे स्थानों में रहते है और इसलिए वे सूर्य की शक्ति का लाभ नहीं उठा पाते हैं।
          आजकल माताएँ नौकरी के कारण सूर्य के प्रकाश का सेवन नहीं कर पातीं। इसलिए प्रायः बच्चे पैदा होते ही पीलिया रोग के शिकार हो जाते हैं। उन्हें सूर्योदय के समय सूर्य किरणों में लिटाया जाता है, जिससे अल्ट्रा वायलेट किरणों के सम्पर्क में आने से उनके शरीर के पिगमेन्ट सेल्स पर रासायनिक प्रतिक्रिया प्रारम्भ हो जाती है और बीमारी में लाभ होता है। इसके अतिरिक्त डाक्टर नर्सरी में कृत्रिम अल्ट्रावायलेट किरणों की व्यवस्था लैम्प आदि जलाकर करते हैं।
           सूर्य स्वास्थ्य और जीवनी शक्ति का भण्डार है। मनुष्य सूर्य के जितने अधिक सम्पर्क में रहता है, वह उतना ही अधिक स्वस्थ रहता है। आजकल लोग अपने घर को चारों तरफ से खिडकियों से बन्द करके रखते हैं और मोटे-मोटे पर्दे लगाकर रखते हैं। मानो उन्हें सूर्य के प्रकाश को घर में घुसने ही नहीं देना होता। इसलिए बीमारियाँ भी अधिक बढ़ती जा रही हैं। जहाँ सूर्य की किरणें पर्याप्त पहुँचती हैं, वहाँ रोगों के कीटाणु स्वत: नष्ट हो जाते हैं और रोग उत्पन्न ही नहीं हो पाते। सूर्य अपनी किरणों द्वारा नाना प्रकार के आवश्यक तत्वों की वृष्टि करता है।उन तत्वों को शरीर में ग्रहण करने से असाध्य रोग भी दूर हो जाते हैं।
           सूर्य चिकित्सा के सिद्धान्त के अनुसार रोगोत्पत्ति का कारण शरीर में रंगों का घटना-बढना है। 'कलर थेरेपी' से उपचार करने वाले लोग अलग-अलग रंग की बोतलों में आठ-नौ घण्टे तक पानी रखकर उसका सेवन करवाते हैं। उनका मानना है कि इससे रोगों का उपचार किया जा सकता है और रोगी स्वस्थ हो जाता है।
            जहाँ सूर्य का ताप उपलब्ध नहीं होता, वे देश तरसते हैं। इसे प्राप्त करने के लिए अनेक उपाय करते हैं। जहाँ यह सरलता से उपलब्ध होता है, वे इसकी कद्र नहीं करते। विश्व में कई देश ऐसे हैं जहाँ पूरा वर्ष सर्दी रहती है, बर्फ का साम्राज्य बना रहता है। सूर्य भगवान के दर्शन उन लोगों को नहीं हो पाते। वे लोग सूर्य के प्रकाश का आनन्द लेने के लिए धन व्यय करते हैं। अवकाश के दिनों में समुद्र के किनारे जाते हैं। वहाँ जाकर वे घण्टों sun bath लेते हैं।
          सूर्य मनुष्य जीवन के लिए बहुत उपयोगी है। बिना कुछ खर्च किए हम स्वयं को अनेक रोगों से मुक्त कर सकते हैं। इस अवसर का भरपूर लाभ उठाकर, निस्सन्देह हम अपना शरीर नीरोगी बना सकते हैं।
चन्द्र प्रभा सूद
Email : cprabas59@gmail.com
Blog : http//prabhavmanthan.blogpost.com/2015/5blogpost_29html
Twitter : http//tco/86whejp

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें