गुरुवार, 13 नवंबर 2014

जीवन का पहिया

जीवन चलते रहने का नाम है। जब तक जीवन का रथ चलता रहता है तभी तक सब सुचारू रूप से आगे बढ़ता है। जहाँ पहिया रुका बस वहीं जीवन का अंत समझो।
        जीवन का महत्त्व विरले ही समझते है और जिसने इसका रहस्य जान लिया वह स्वर्णाक्षरों में चमकता है। यूँ तो सभी अपना जीवन जीते हैं पर इस कला के जानकार ही बता सकते हैं इसकी उपयोगिता।
        हम आसपास वाहनों को देखते हैं। जब तक उनका पहिया चलता है सब ठीक रहता है पर जब पहिया जाम हो जाता है तब परेशानियां बढ़ जाती हैं। कष्ट भी होता है और खर्च भी होता है। गाड़ी ठीक से चले उसके लिए पेट्रोल, डीजल आदि डलवाना पड़ता है और समय-समय पर जांच करवानी पड़ती है।
      उसी तरह जीवन का पहिया रुकने पर दुखों-परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अस्वस्थ होने पर डाक्टरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं और धन भी खर्च होता है।
        हमारा जीवन सुचारू रूप से चले तो इसके लिए हमें अपने को संयमित करना होगा। संतुलित आहार-विहार के नियमों का पालन करना होगा इससे हम स्वस्थ भी रहेंगे और डाक्टरों की आवश्यकता भी हमें कम पड़ेगी।
       यह हमपर निर्भर करता है कि हम अपने जीवन को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं। मेरा विचार है हम सभी अमन और चैन से अपना जीवन व्यतीत करना चाहते हैं। यदि ऐसा है तो अपनी जीवनशैली में थोड़ा सा परिवर्तन लाकर हम बहुत कुछ पा सकते हैं।

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