सभ्य समाज में बाल मजदूर यानी कि child labour एक भयंकर कोढ़ है । छोटे-छोटे बच्चों से मजदूरी करवाना एक सामाजिक अपराध है। जिस आयु में बच्चों को पढ़-लिखकर अपना भविष्य बनाना चाहिए उन पर अत्याचार किया जाता है। उनसे उनका बचपन छीन लिया जाता है।
नन्हे-नन्हे हाथों से कारखानों, होटलों, दुकानों पर दस-बारह घंटे काम करवाया जाता है। खाने के नाम पर बचा-खुचा, रूखा-सूखा दिया जाता है। अगर कुछ टूट जाए या नुकसान हो जाए तो उसकी भरपायी के लिए उन बच्चों को भूखा रखा जाता है और उनके पैसे भी काटे जाते हैं। सारा दिन जी-तोड़ मेहनत करते इन बेचारों के साथ मारपीट व गालीगलौच की जाती है।
घरों में नौकर का काम करने वालों की स्थिति अच्छी नहीं बहुत भयावह है। वहाँ भी उन बच्चों की कमोबेश वैसी ही दुर्दशा होती है। घर में बंधुआ मजदूर की तरह काम करने वाले ये बच्चे घर के सदस्यों से पल-पल अपमानित होते हैं, मारपीट का शिकार होते हैं। सुविधाभोगी घर के बच्चों की ओर ललचाई नजर से देखने वाले इन बच्चों का भविष्य अंधकार से युक्त रहता है।
यह कैसा है हमारा सभ्य समाज जहाँ अपने बच्चों की हर तरह की सुरक्षा का प्रबंध किया जाता है, उन्हें गर्म हवा भी न लगे यह ख्याल रखा जाता है, उन्हें हर प्रकार की सुख-सुविधा दी जाती है पर दूसरी ओर इन गरीब बच्चों पर अत्याचार किया जाता है? ऐसा करते समय उनके मन में दया-ममता सब मर जाती है। ये मासूम बच्चे उन्हें चोर-उच्चके तक दिखाई देते हैं।
समय व जमाने की ठोकरें खाकर कुछ बच्चे असामाजिक हाथों में भी पड़ जाते हैं जहाँ इनसे भीख मंगवाई जाती है, चोरी-डकैती व जेबकतरे का काम भी करवाया जाता है। और भी कई प्रकार के अनैतिक कार्यों को करने के लिए उन्हें मजबूर किया जाता है।
सरकार ने इन बच्चों की सुरक्षा के लिए कानून बनाए हैं, बराबर छापे भी डाले जाते हैं इन्हें बचाने के लिए। स्वयंसेवी संस्थाएँ भी इन बच्चों की सुरक्षा के लिए अपने स्तर पर कार्य कर रही हैं।म
परन्तु जब तक हम सरकार व स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ मिलकर इस यज्ञ में आहुति नहीं डालेंगे तब तक इन बच्चों के साथ अन्याय होता रहेगा, उद्धार नहीं होगा। इनको यथासंभव सुशिक्षित बनाकर समाज में सम्मानित जीवन देकर इन सबका भविष्य सुरक्षित किया जा सकता है। ये इस देश के भावी कर्णधार हैं, हमारे प्यार व विश्वास के योग्य हैं।
सोमवार, 17 नवंबर 2014
बाल मजदूरी
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