शुक्रवार, 21 नवंबर 2014

शठे शाठ्यं समाचरेत्

विद्वान कहते हैं दुष्ट के साथ दुष्टता का व्यवहार करना चाहिए- 'शठे शाठ्यं समाचरेत्।' या दूसरे शब्दों में कहा जाए कि- 'ईंट का जवाब पत्थर से देना चाहिए।' इसका कारण है दुष्ट साँप की तरह होता है उसके साथ कितना भी अच्छा करो वह मौका आने पर डंक जरूर मारता है।
     यदि दुष्ट के साथ नरमी का बर्ताव करेंगे तो उसका दिमाग सातवें आसमान पर चढ़ जाएगा। तभी कहते हैं- 'आर्जवं हि कुटिलेषु न नीति:।' अर्थात् दुष्ट के साथ सरलता नहीं बरतनी चाहिए। ऐसी नीति अपनानी चाहिए जिससे उसे यह न लगे कि हम कमजोर हैं या उसका प्रतिकार नहीं कर सकते।
      वैसे हम चाहते हैं कि उन लोगों को सुधारने का एक मौका दिया जाना चाहिए। पर वास्तव में एक अवसर मिलने पर उनमें सुधार हो सकता है क्या? यदि हाँ तो यह बहुत बड़ी उपलब्धि होगी अन्यथा समय की बरबादी।
      दुष्ट को यदि हम क्षमा करेंगे तो वह हमारा मजाक उड़ायेगा और कहेगा कि हम में हिम्मत ही नहीं है उसका सामना करने की। हमारी क्षमाशीलता को वह हमारी कमजोरी समझकर और अधिक अत्याचार करेगा।इसिलए उसका प्रतिकार आवश्यक है।
     अपवाद हर विषय में मिल जाते हैं। वाल्मीकि व अंगुलीमाल डाकू दोनों ही महात्माओं की संगति में महान बने तथा उन्होंने समाज को दिशा देने का कार्य किया। पर ऐसे कुछ लोग अंगुलियों पर गिने जा सकते हैं।
      यहाँ मैंने तीन उक्तियों को आपके समक्ष रखा है। अब आप विचार करें कि हम ऐसे लोगों से कैसा व्यवहार करें?

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