शनिवार, 11 अक्तूबर 2014

जीवन साथी

पाया मैंने जीवन साथी मनभाया
ईश कृपा ने अपना नेह बरसाया
भर ले खाली झोली कह हरसाया
पलपल यह पगला मन मुसकाया

पति से संग सतरंगी जीवन पाया
मधुर रागिनी संग सब फल पाया
पर बच्चों ने अब सपना दुलराया
जीवन की है सार्थकता समझाया

निशदिन था यह जीवन सरसाया
कितने मधुमासों ने तान सुनवाया
जीवन वंशी पर नवगीत लरजाया
फिर फिर मुझको नातों ने हरषाया

जीवन के तानेबाने ने सब बुनवाया
धूपछाँह ने था खूब धमाल मचवाया
नित नूतन अजब ये खेल खिलवाया
इन बढ़ते कदमों को मन ने सहलाया

हँसकर भाग्य का लेखा भुगताया
मुसकाते पल से यह मन भरपाया
जीवन की आपाधापी को निपटाया
सब कलुष धोकर तनमन बरसाया

बारंबार प्रभु को था यह शीश नवाया
जीवन नैया को जिसने है पार लगाया
उसके उपकारों से मनभर यूँ लरजाया
ऐसे साथी से जीवन उपकृत करवाया।

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