गुरुवार, 16 अक्तूबर 2014

हसीन वादियाँ

चलो चलें इन हसीन वादियों के
सपनों में खो जाने के पल ढूंढ लें
बंद कर लो पलकें अहसास पाने
अपने अंतस् को छोड़ दो गहराने

जहाँ देखो बस देखते ही रह जाओ
प्रकृति का जलवा हर सू ललचाये
फूलों की खूशबू चहूँ ओर महकाये
मन में बस-बस कर मुझे यूँ हरषाये

खुली वादियाँ और दिलकश नजारे
बुलाएँ मुझे हर पल यूँही मुस्कुरायें
पक्षियों का ये कलरव लोरी सुनायें
ठंडी हवाएँ देखो आकर थपथपायें

मेरे शब्द लौट-लौट कर धूम मचाये
पत्तों की ये सरसराहट राग सुनाये
छन-छन कर आती यह धूप सुहाये
नदी झरनों का कलकल मुझे बुलाये

हिलोरे लेता ये पगला मन ललचाये
आ-आके यहाँ प्यार की पींगे बढ़ायें
आओ सखी एक नयी दुनिया बनायें
इन वादियों सा मासूम प्यार लुटायें।

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