सोमवार, 20 अक्तूबर 2014

कन्या बचाओ

कन्या बचाओ मुहिम बहुत जोरों से चल रही है। भ्रूणहत्या का विरोध भी बहुत मुखर रूप से किया जा रहा है। सोशल मीडिया व सामाजिक संगठनों ने इस समस्या के विरोध में कमर कस ली है। सरकार व न्यायालय भी इस समस्या पर बहुत गंभीर हैं।
         इक्कीसवीं सदी में जहाँ लड़कियों व लड़कों को हर क्षेत्र में समान अवसर प्राप्त हैं वहाँ लड़की को गर्भ में ही मार देना बहुत ही अमानवीय है। इससे लड़की व लड़के का अनुपात बिगड़ जाएगा तब अन्य तरह की समस्याएँ समक्ष आएँगीं।
       हमारे देश में कई प्रदेशों में कन्या भ्रूण हत्या का महापाप प्रचलन में है। शायद इसका मुख्य कारण है स्त्रियों को समाज में उचित सम्मान न मिलना जो उन्हें मिलना चाहिए। दहेज जैसी कुरीतियाँ और बलात्कार जैसी घटनाओं का सभ्य समाज में बढ़ना भी इसके कारण हैं। साथ ही तथाकथित धर्म के ठेकेदारों ने यह भ्रांति फैलाई हुई है कि पुत्र कुल का उद्धार करने वाला है। समझ नहीं आता कि जहाँ परिवार में शायद ही अपने परदादा का नाम किसी को पता हो वहाँ कौन सा कुल तरेगा? किसी भी कारण से आज अपने माता-पिता की सेवा जो बच्चे नहीं कर पा रहे वे कौन-कौन से पितरों को पार लगाएंगे? और फिर जो पितर इस दुनिया से विदा लेते ही न जाने कितने जन्म ले चुके होंगे उनको तारना कैसा मजाक है?
        हम अपने आदी ग्रन्थों वेदों में पुत्रियों के विषय में उनके विचारों को जानने का प्रयास करते हैं। वहाँ केवल पुत्र की कामना नहीं की गई बल्कि य की भी कामना की गयी है। वेदों ने हमेशा ही नारी को यथोचित सम्मान दिया है। उसे सदा प्रात: कालीन उषा के सामान प्रकाशवती, सम्राज्ञी अन्नपूर्णा, सदा गृहिणी, स्नेहमयी माँ, वीरांगना, वीर प्रसवा आदि से संबोधनों से पुकारा जाता था।
ऋग्वेद १०.१५९.३– मन्त्र में कहा है कि मेरे पुत्र शत्रुओं का नाश करने वाले हों और पुत्री भी तेजस्वनी हो।
ऋग्वेद ९/६७/१०- में प्रार्थना की है कि प्रति प्रहर हमारी रक्षा करने वाला पूषा हमें कन्यायों का भागी बनायें अर्थात् कन्या प्रदान करे।
यजुर्वेद २२/२२– मन्त्र में विजयशील सभ्य वीर युवकों के पैदा होने की कामना की है साथ ही बुद्धिमती नारियों के उत्पन्न होने की भी प्रार्थना की गई है।
अथर्ववेद १०/३/२०- मन्त्र में ऋषि कहते हैं  कि जैसा यश कन्या में होता हैं वैसा ही यश मुझे प्राप्त हो।
        हमें समझना चाहिए कि विश्व के प्राचीनतम ग्रन्थ हमें नारी का सम्मान करने की शिक्षा देते हैं। उसके बिना पुरुष एक कदम भी नहीं चल सकता। मेरी सभी सुधी जनों से प्रार्थना है कि वे बेटी की सुरक्षा का यत्न करें। इस दुनिया में उसकी बहुत आवश्यकता है। वह घर को व देश को दिशा देने वाली है, स्वर्ग बनाने वाली है। सामाजिक संगठन, सरकार व कानून तो अपना काम कर रहे हैं, साथ ही हमें भी सजग रहना है।

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