रविवार, 12 अक्तूबर 2014

क्या है सपना

कभी सोता सपना कभी जगता सपना
कभी हंसाता और कभी रुलाता सपना
हमारे वजूद पर ये प्रश्न लगाता सपना
जाने अंजाने बस आस दिखाता सपना

टूटे हुए उस मासूम बचपन का सपना
गुड़िया के लिए रोती राधा का सपना
राजू बंटी को पड़ी फटकार का सपना
बचपन के अनचाहे दुलार का सपना

कहीं है बच्चों की रेलमपेल का सपना
कहीं सूने आँगन में दस्तक का सपना
आशा औ निराशा में झूलने का सपना
समझ न पाये हम सब सच का सपना

किशोर की रूठी आशाओं का सपना
युवकों की फीकी मुसकानों का सपना
रोटी की आशा में भटकतों का सपना
रोजी की तलाश में टूटे हुओं का सपना

दहेज की बलि चढ़ी दुल्हन का सपना
सुंदर दुल्हन पाते उस युवा का सपना
तालाक की दहलीज ममता का सपना
समझाओ हमें अब मजबूरी का सपना

बूढे़ लाचार होते उस पिता का सपना
सूनी भीगी आँखों वाली माँ का सपना
बदहाली से लाचार माँ-बाबा का सपना
हो पाएगा कभी सच यह उनका सपना

दर-दर ठोकर खाते भिखारी का सपना
महलों को देख टूटी झोंपड़ी का सपना
दुनिया से ठुकराए एहसासों का सपना
सड़क पे पत्थर तोड़ते दीनू का सपना

परदेस बैठे नवाब के स्वदेश का सपना
नेता को है छिनती हुई कुर्सी का सपना
मन्त्री और सन्तरी तक सबका सपना
कब पूरा हो पाएगा यह सबका सपना

मेरा सपना, तेरा सपना, सबका सपना
अपना बन पाया है यह किसका सपना
सबको धूल चटाकर यह महका सपना
साथ निभा पाया कब किसका सपना

नहीं सिखाता ये सब सोच का सपना
नहीं भान हमें यह बस किसका सपना
मत भागो पीछे ये सब छल का सपना
शायद पूरा हो पाए ये आस का सपना

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