जीवन की संध्या बेला अब आई है
साथ ही खुशियों की बारात लाई है
ढोल नगाड़े सब साथ लेकर आई है
सुन रही हूँ शोरगुल सब मद छाई है।
किसीने उसे बताया उदासी छाई है
मत कहो उदासी यहाँ खुशी आई है
यहाँ हर ओर जश्न की ही तैयारी है
उत्सव मनाने की सबकी तैयारी है।
मुझे सबको ही एक बात बतानी है
ध्यान से कान लगा इसे सुनानी है
यह जीवन धूप-छाँव की कहानी है
मत भूलो हमको सबसे पार पानी है
ओ मेरे मीत अब देरी न करानी है
बैठो भी यही जीवन की कहानी है
निराशा छोड़ अब हिम्मत बढ़ानी है
इसे सोच-समझ अमल में लानी है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें